क्या आप जानते हैं Friendship Day 2025 की खास बातें? ये कोट्स और विशेज आपके दोस्ती के रिश्ते को और मजबूत बना देंगे!

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आज हम एक ऐसे इंसान की कहानी सुनेंगे, जो हर दिन सुबह से शाम तक रोज़गार के लिए घर से निकलता है। वह है — कोरियर बॉय। यह सिर्फ एक डिलीवरी बॉय नहीं है। यह एक ज़िंदगी है, एक संघर्ष है, एक रोज़ की लड़ाई है। यह वह शख्स है जो बिना रुके, बारिश में, गर्मी में, सर्दी में आपके घर तक सामान पहुँचाता है।

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आप ऑनलाइन ऑर्डर करते हैं, और अगले दिन तक सामान आ जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह सामान आखिर आता कैसे है? कौन लाता है? कौन उसे आपके दरवाज़े तक पहुँचाता है?

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वह कोई रोबोट नहीं है। वह एक इंसान है। उसके पास भी एक परिवार है, बच्चे हैं, सपने हैं, चिंताएं हैं। लेकिन फिर भी वह हर दिन अपनी बाइक पर सवार होकर निकल पड़ता है।

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सुबह 6 बजे, जब आप सो रहे होते हैं, वह पहले से तैयार हो चुका होता है। बाइक का पेट्रोल चेक करता है, फोन चार्ज करता है, ऑफिस से पार्सल लेता है, और रूट देखकर निकल पड़ता है।

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उसके पास कोई फिक्स्ड टाइम नहीं होता। न ही कोई छुट्टी। न ही कोई सुरक्षा। वह रोज़ अपनी जान जोखिम में डालकर सड़कों पर दौड़ता है।

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कभी ट्रैफिक जाम, कभी बारिश, कभी गर्मी, कभी भूला हुआ पता, कभी लिफ्ट नहीं चल रही होती। लेकिन वह हार नहीं मानता। वह डिलीवर करने आया है, और डिलीवर करके ही जाएगा।

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उसे आपके घर के सामने खड़े होकर इंतज़ार करना पड़ता है। कभी-कभी 15 मिनट, कभी 30 मिनट तक। आपके आने का इंतज़ार। आपका टाइम तो होता है, लेकिन क्या आप सोचते हैं कि उसका भी टाइम होता है?

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उसके पास एक दिन में 70 से 100 पार्सल डिलीवर करने होते हैं। अगर हर पार्सल पर 15 मिनट लगते हैं, तो वह रात 9-10 बजे तक काम करता रहेगा।

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और फिर उसे पिकअप भी करने होते हैं। लोगों के घर से सामान उठाना, वेरिफाई करना, फोटो लेना, अपलोड करना। यह सब करने में उसका बहुत समय खर्च होता है।

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आपके लिए यह 2 मिनट का काम है — सामान लेना और साइन करना। लेकिन उसके लिए यह 15 मिनट का संघर्ष है।

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95% कोरियर बॉय ईमानदार होते हैं। वे आपके सामने खड़े रहते हैं, आपका इंतज़ार करते हैं, और बिना शिकायत के वापस जाते हैं।

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उनकी कमाई भी बहुत कम होती है। कुछ कंपनियां प्रति पार्सल ₹8 से ₹15 तक देती हैं। कुछ फ्लैट रेट देती हैं — ₹300 से ₹500 प्रति दिन।

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लेकिन इसमें बाइक का पेट्रोल, मेंटेनेंस, मोबाइल रिचार्ज, डेटा, और टाइम सब शामिल है। अगर वह दिनभर में 80 पार्सल डिलीवर करे, तो भी उसके हाथ में सिर्फ ₹200-300 बचते हैं।

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उसके पास कोई छुट्टी नहीं होती। अगर वह बीमार हो गया, तो उसका दिन का ₹300 भी नहीं मिलता। और कोई दूसरा व्यक्ति उसका काम संभालता है।

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वह काम क्यों करता है? क्योंकि उसके कंधों पर एक परिवार है। पत्नी, दो बच्चे, माता-पिता का इलाज, घर का किराया, बिजली का बिल। वह इन सबके लिए मेहनत करता है।

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लेकिन क्या हम उसकी मेहनत को समझते हैं? नहीं। हम तो बस इतना जानते हैं कि वह "कोरियर बॉय" है।

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अगर वह 10 मिनट लेट हो गया, तो हम गुस्सा करते हैं। गाली देते हैं। कंपनी को कॉल करते हैं। लेकिन क्या हम सोचते हैं कि उसने आज कितनी बारिश में सफर किया? कितनी गर्मी में पसीना बहाया?

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हम बिना चेक किए साइन कर देते हैं। फिर बाद में पता चलता है कि चार्जर नहीं है, या कपड़े का साइज़ गलत है। और फिर हम उसी कोरियर बॉय पर दोष लगाते हैं।

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लेकिन वह तो सिर्फ डिलीवरी कर रहा था। उसने सामान लेते वक्त भी चेक नहीं किया था, क्योंकि आपने कहा था — "जल्दी करो, टाइम नहीं है।"

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अब जब आप रिटर्न करते हैं, तो वही कोरियर बॉय वापस आता है। उसका वक्त, उसका पेट्रोल, उसकी मेहनत — सब बर्बाद।

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कुछ लोग तो ऑनलाइन शॉपिंग करके कपड़े पहनते हैं, फोटो खींचते हैं, सोशल मीडिया पर डालते हैं, और फिर रिटर्न कर देते हैं। यह सिर्फ आपके लिए फ्री ट्रायल नहीं है — यह कोरियर बॉय के लिए एक जंग है।

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उसे वापस जाना पड़ता है, फिर से पिकअप करना पड़ता है, फिर से टाइम बर्बाद करना पड़ता है। और अगर रिटर्न रेट ज्यादा होता है, तो कंपनी उसे फाइन लगा देती है।

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"तुम्हारे एरिया में रिटर्न ज्यादा हैं!" — यह सुनकर वह क्या कर सकता है? वह तो बस डिलीवर कर रहा है।

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इसलिए समझिए — कोरियर बॉय का फैसला नहीं होता। वह तो सिर्फ एक माध्यम है। ऑर्डर कंपनी ने लिया है, नियम कंपनी के हैं।

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अगर आपको सच में कोई समस्या है — सामान क्षतिग्रस्त है, आइटम गायब है — तो शांति से बताएं। गुस्सा न करें। गाली न दें। धोखा न दें।

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कोरियर बॉय भी आपकी मदद करना चाहता है। वह भी चाहता है कि आप खुश रहें। लेकिन अगर आप झूठ बोलेंगे, या बिना चेक किए साइन कर देंगे, तो उसकी मेहनत पर पानी फिर जाएगा।

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हम सभी की ज़िम्मेदारी है कि हम उसके साथ अच्छा व्यवहार करें।

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सामान मिलते ही खोलकर चेक करें।
अगर कुछ गायब है, तो कोरियर बॉय को बताएं।
अगर रिटर्न करना है, तो सामान साफ-सुथरा पैक करें।
अगर वह लेट हो गया है, तो थोड़ा सहयोग दें।
अगर वह मेहनत कर रहा है, तो एक मुस्कान ज़रूर दें।

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यह नहीं कि हमें हर बार चुप रहना चाहिए। अगर आपको वास्तविक समस्या है, तो कंपनी को शिकायत करना आपका अधिकार है।

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लेकिन कोरियर बॉय को टारगेट न बनाएं। वह तो बस एक कर्मचारी है। उसके पास न तो पावर है, न अधिकार।

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उसकी ज़िंदगी भी आपकी तरह है। उसके भी सपने हैं। वह भी अपने बच्चों को अच्छा भविष्य देना चाहता है। वह भी बेहतर जीवन जीना चाहता है।

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लेकिन वह यूनिफॉर्म में है, इसलिए हम उसे "छोटा" समझ लेते हैं। यह गलत है।

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वह भी एक देश का हिस्सा है। वह भी आपकी मेहनत और टाइम बचा रहा है। अगर वह न होता, तो आपको दुकान जानी पड़ती।

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वह आपके लिए एक कड़ी है। जो आपके घर तक सामान पहुँचाता है। उसकी मेहनत बारिश में, गर्मी में, सर्दी में मिलती है।

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उसे पैसा पार्सल के हिसाब से मिलता है। कोई बोनस नहीं। कोई बीमा नहीं। कोई स्वास्थ्य सुविधा नहीं।

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लेकिन फिर भी वह हर दिन निकलता है। क्योंकि उसके पीछे एक परिवार है। जो उसके इंतज़ार में है।

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इसलिए मेरी अपील है — कोरियर बॉय को फ़साना नहीं चाहिए। उसका फ़ायदा नहीं उठाना चाहिए। उसके साथ धोखा नहीं करना चाहिए।

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अगर आपको कोई जेनुइन समस्या है, तो बता दें। लेकिन झूठ न बोलें। बिना चेक किए साइन न करें।

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एक दिन का ₹300 कमाने वाला आदमी अपनी बाइक लेकर चलता है। कभी ट्रैफिक जाम में फंस जाता है, कभी बारिश में भीग जाता है।

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इसलिए उस पर थोड़ा ध्यान दें। उसके प्रति संवेदना रखें। उसके साथ इंसानियत से पेश आएं।

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अगर आज आपके घर कोई कोरियर बॉय आए, तो उससे पूछिए — "भैया, आज कितने पार्सल किए?"
उसके जवाब में आपको पता चलेगा — एक छोटी सी डिलीवरी के पीछे कितनी मेहनत छुपी है।

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और अगर आपने यह लेख पढ़ लिया है, तो एक वादा करें —
"मैं कभी भी कोरियर बॉय को फ़साना नहीं करूंगा।"


क्या सीख मिली?

  1. कोरियर बॉय की मेहनत को सम्मान दें।
  2. सामान मिलते ही खोलकर चेक करें।
  3. बिना गुस्सा किए, बिना धोखा दिए बात करें।
  4. उसकी थकान और ज़िम्मेदारी को समझें।
  5. एक मुस्कान भी किसी का दिन बना सकती है।

हम इसे कैसे रोकें?

  • बिना ज़रूरत के रिटर्न न करें।
  • सामान चेक करके ही साइन करें।
  • कोरियर बॉय के साथ अच्छा व्यवहार करें।
  • दूसरों को जागरूक करें।
  • सोशल मीडिया पर #RespectCourierBoy जैसे हैशटैग शेयर करें।

इस चीज़ को कैसे ठीक करें?

  • कंपनियों को फीडबैक दें कि कोरियर बॉय को सम्मान दिया जाए।
  • कम रिटर्न वाले एरिया में इंसेंटिव दिया जाए।
  • ग्राहकों को "चेक बिफोर साइन" के बारे में जागरूक किया जाए।
  • सरकार या एनजीओ द्वारा कोरियर वर्कर्स के लिए सहायता योजना बनाई जाए।

दूसरों की कैसे मदद करें?

  • इस लेख को शेयर करें।
  • अपने दोस्तों, परिवार, सोसाइटी में बात करें।
  • ऑफिस में इस पर चर्चा करें।
  • WhatsApp ग्रुप में भेजें।
  • सोशल मीडिया पर पोस्ट करें।

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